एक-दूसरे को समझना बंद कर देते है तो गायब हो जाती घर की खुशियां – समकितमुनिजी
- सात दिवसीय प्रवचनमाला सद्गुरू सुमति कथा एवं मैना सुंदरी कथा का तीसरा दिवस
हैदराबाद। घर में जब अलग-अलग विचारधारा व मान्यताओं वाले लोग होते है ओर एक दूसरे पर उन्हें थोपने की कोशिश करते है तब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है। जब विचारधारा समान नहीं हो तो एक दूसरे को समझने का प्रयास करना चाहिए। हम एक दूसरे को समझना बंद कर देते है तो खुशियां भी किसी कमरे में जाकर बंद हो जाती है। हम एक दूसरे की भावनाओं को समझकर आगे बढ़े। भाषा के साथ भावों को भी समझना जरूरी है। बोलने वाले के हिसाब न समझे तो भी गड़बड़ी हो जाती है। ये विचार पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में शनिवार को सात दिवसीय विशेष प्रवचनमाला सद्गुरू सुमति कथा व मैना सुंदरी कथा के तीसरे दिन व्यक्त किए। उन्होंने पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के जीवन में समाहित गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि गुरूदेव कभी सम्मान कराने में विश्वास नहीं रखते थे। एक बार राष्ट्रपति भवन से सम्मान के लिए आमंत्रण आया तो भी वह नहीं पधारे ओर बाद में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें राजर्षि पद से अलंकृत किया। वह स्तुतियों से अप्रभावित रहते थे ओर हर जन्मदिन पर उनके तपस्या ही रहती थी। यश व नाम की चाहना उन्हें कभी नहीं रही। साधना आराधना के मार्ग पर आगे बढ़ते गए। मुनिश्री ने कहा कि उनके वचनों में लब्धि होने से बोलना सार्थक हो जाता था। उनकी प्रेरणा से कई शहरों में स्थानक भवनों का निर्माण हुआ। वचन संपदा भरपुर होने से उनके बोले वचन कभी खाली नहीं जाते थे। वह जीवन में चुनौतियों का सामना करने से कभी नहीं घबराते थे। धर्मसभा में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘गुरूवर प्यारे नाम तेरा सारी दुनिया से न्यारा है’’ की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में पूज्य प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में भीलवाड़ा से पधारे सुश्रावक नरेन्द्रजी कोठारी एवं सुश्राविका चंदाजी कोठारी की भक्ति भावना व दानशीलता की प्रवृति की सराहना करते हुए समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि उन्होंने कई दानी परिवार देखे है पर भीलवाड़ा के कोठारी परिवार जैसा परिवार अब तक नहीं देखा है। उन्होंने कोठारी परिवार की संघ समाज के प्रति सेवाओं की अनुमोदना करते हुए मंगलभावना व्यक्त की। श्रीसंघ द्वारा अतिथियों का स्वागत सम्मान किया गया। धर्मसभा में नासिक, चैन्नई, भीलवाड़ा सहित विभिन्न स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे। संचालन श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया।
सुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति पर आयम्बिल आराधना 9 अक्टूबर को
आयम्बिल तप के महान आराधक पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इसी दिन से नवपद आयम्बिल ओली तप की आराधना भी शुरू होगी। समकितमुनिजी ने 9 अक्टूबर को एक आयम्बिल अवश्य करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि इस दिन से नवपद आयम्बिल ओली भी शुरू हो रही है जिससे भी जुड़ने की भावना रखे। नवरात्र के नाम पर ऐसी तपस्या नहीं करे जो कर्मो का बंध करती हो। भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र की दीपावली तक चलने वाली 21 दिवसीय आराधना 10 अक्टूबर से शुरू होगी।