Jain Station News
महत्वपूर्ण सूचना
जैन भजन

आया, आया, आया तेरे दरबार में

आयाआयाआया तेरे दरबार में

तर्ज आजा मेरी बरबाद मुहोब्बत – अनमोल गाडी

आयाआयाआया तेरे दरबार में त्रिशला के दुलारे

अब तो लगा मझदार से यह नाव किनारे ॥

अथा संसार सागर में फ़ंसी है नाव यह मेरी

फ़ंसी है नाव यह मेरी

ताकत नहीं है और जो पतवार संभारे ॥ अब तो

सदा तूफ़ान कर्मों का नचाता नाच है भारी

नचाता नाच है भारी

सहे दुख लाख चौरासी नहीं वो जाते उचारे ॥ अब तो

पतित पावन तरण तारणतुम्हीं हो दीन दुख भन्जन

तुम्हीं हो दीन दुख भन्जन

बिगडी हजारों की बनी है तेरे सहारे ॥ अब तो

तेरे दरबार में आकर न खाली एक भी लौटा

न खाली एक भी लौटा

मनोरथ पूर दें ’सौभाग्य’ देता ढोक तुम्हारे ॥ अब तो

Related posts

मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं

Leave a Comment