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सात दिवसीय प्रवचनमाला सद्गुरू सुमति कथा एवं मैना सुंदरी कथा का आगाज

सात दिवसीय प्रवचनमाला सद्गुरू सुमति कथा एवं मैना सुंदरी कथा का आगाज

हैदराबाद। सुबह ब्रह्म मुर्हुत में उठना शरीर को सेहतमंद रखने के लिए सबसे श्रेष्ठ ओर लाभकारी होता है जबकि आजकल के कई युवाओं के लिए यह सोने का समय बन गया है। घरों में सोने का नॉर्मल समय ही रात 12 बजे का हो रहा है। इस समय सोने से शरीर की भी बारह बज रही यानि दुर्दशा हो रही ओर बीमारियों से घिर रहा है। शरीर को स्वस्थ रखना है तो समय पर सोए ओर समय पर उठना शुरू करे।यदि धर्म आपके साथ है तो जीवन में सब कुछ छूट जाए तो भी परेशान मत होना। धर्म साथ में है तो परिवार ओर कोई अन्य साथ है या नहीं इसकी भी चिंता मत करना। ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में गुरूवार को सात दिवसीय विशेष प्रवचनमाला सद्गुरू सुमति कथा व मैना सुंदरी कथा के पहले दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरूदेव राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के जीवन की इतनी विशेषताएं है कि उन्हें एक सप्ताह में समेटना मुश्किल है पर कुछ प्रमुख विशेषताओं ओर गुणों पर इस प्रवचनमाला के माध्यम से चर्चा की जाएगी। उनका जीवन गुणों का भण्डार था। जीवन में 50 वर्ष से अधिक समय तक एकान्तर आयम्बिल तप करने वाले गुरूदेव का जीवन प्रेरणा देता है कि खाने के अंदर हमेशा संयम रखना चाहिए। उनके दिन की शुरूआत ब्रह्मुर्हुत से होती थी ओर इस समय उठना सेहत की दृष्टि से बहुत लाभकारी है यह बात विज्ञान भी मानती है। उन्होंने कहा कि गुरूदेव की दिनचर्या उनके लिए वरदान बन गई ओर वह 86 वर्ष की उम्र में भी उनका शरीर पूरी तरह फीट था। यह बताता है कि हमारी रूटीन लाइफ सही हो तो कई बीमारियां आसपास फटकेगी भी नहीं। उनका मनोबल हमेशा बुलंदियों पर रहता था इसलिए हर चुनौती का सामना वह सहजता से कर लेते थे। प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने मैनासुंदरी चरित्र की चर्चा करते हुए कहा कि वह सन्मति नारी चौथे आरे में हुई थी लेकिन उसका चरित्र आज भी अनुकरणीय है ओर उसका जीवन प्रत्येक नारी के लिए प्रेरणादायी है। वह बताता है कि जीवन में कैसा भी पल आए पर कभी धर्म का साथ नहीं छोड़ना चाहिए हर संकट से पार हो जाएंगे। धर्मसभा में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘गुरूवर तुम हो मेरा सहारा आकर हमको दिखा दो किनारा’’ की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में पूज्य प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में सूरत से वरिष्ठ सुश्रावक गजेन्द्रजी चण्डालिया एवं चित्तौड़गढ़ से सुश्राविका श्रीमती अंगूरबालाजी भड़कत्या भी मौजूद थे। पूज्य समकितमुनिजी ने संघ-समाज के लिए उनकी सेवाओं की सराहना करते हुए मंगल भावनाएं व्यक्त की। धर्मसभा में पूना, चैन्नई, आकुर्डी-निगड़ी आदि स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे।

नवपद आयम्बिल ओली तप की आराधना 9 अक्टूबर से

आयम्बिल तप के महान आराधक पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इसी दिन से नवपद आयम्बिल ओली तप की आराधना भी शुरू होगी। समकितमुनिजी ने 9 अक्टूबर को एक आयम्बिल अवश्य करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि इस दिन से नवपद आयम्बिल ओली भी शुरू हो रही है जिससे भी जुड़ने की भावना रखे। नवरात्र के नाम पर ऐसी तपस्या नहीं करे जो कर्मो का बंध करती हो। भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र की दीपावली तक चलने वाली 21 दिवसीय आराधना 10 अक्टूबर से शुरू होगी।

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