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धर्म के अलावा दुनिया में कोई हमारी रक्षा नहीं कर सकता – समकितमुनिजी

धर्म के अलावा दुनिया में कोई हमारी रक्षा नहीं कर सकता – समकितमुनिजी

  • वो ही घर खिलखिलाता है जहां बच्चें मुस्कराते है
  • पूज्य समकितमुनिजी के सानिध्य में श्रीमद् उत्तराध्ययन सूत्र की 21 दिवसीय आराधना जारी

हैदराबाद। धर्म को जानने पाप करना छोड़ देना चाहिए। पाप क्या है पुण्य क्या है, आश्रव क्या है निर्जरा क्या है यह सब जान लेने के बाद धर्म करने में देरी नहीं करनी चाहिए। जिंदगी का वो ही समय सार्थक होता है जो धर्म में लगता है जो समय अधर्म में बीताते है वह तो व्यर्थ हो जाता है। उम्र घटती जा रही है बुढ़ापा नजदीक है फिर भी भोग नहीं छोड़ पाते है। ये ध्यान रहे धर्म के अलावा दुनिया में कोई हमारी रक्षा नहीं कर सकता है। ये विचार पूज्य राजर्षि भीष्म पितामह सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में परमात्मा भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना श्रीमद् उत्तराध्ययन आगम की 21 दिवसीय आराधना के 11वें दिन मंगलवार को व्यक्त किए। उन्होंने उत्तराध्ययन सूत्र के 14 वें अध्ययन ईशुकारीय का वाचन करते हुए उसकी मूल गाथा व उनका अर्थ धर्म के सार एवं जीवन के व्यवहारिक दृष्टिकोण के साथ समझाया। उन्होंने कहा कि शांति से जीना है तो धन का मोह त्याग दो व परिग्रह छोड़ दो अन्यथा शांति से जी नहीं पाएंगे। जो हिंसा में धर्म की आराधना करते है उनको भोजन कराने वाला भी अंधकार की तरफ ही बढ़ता है। प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी ने कहा कि वो ही घर खिलखिलाता है जिस घर में बच्चे मुस्कराते है पर आजकल घरों की ये मुस्कान हॉस्टल में चली गई है। पुत्र हमारी गति करेगा या दुर्गति ये कोई नहीं जानता इसके बावजूद हमारा पुत्र मोह कम नहीं होता। अधिकतर दंपति की कामना होती है कि एक बेटा तो होना ही चाहिए पुत्र के बिना उत्तम गति नहीं होने वाली है पर ये सोच जिनशासन की नहीं है। धर्मसभा के शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने भगवान महावीर की स्तुति पुच्छीसुणम का मंगलपाठ किया। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में तेला तप की आराधना 30 अक्टूबर से 1 नवम्बर तक होगी। श्रावक-श्राविकाओं को उपवास,आयम्बिल या एकासन का तेला तप करने की प्रेरणा दी जा रही है। वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर पूज्य विशालमुनिजी म.सा. का जन्मदिन 12 नवम्बर को एकासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसके उपलक्ष्य में 10 नवम्बर को सामायिक का तेला भी होगा। धर्मसभा में कोयम्बयूटर, बेंगलौर, उदयपुर, नेकनूर सहित विभिन्न स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे।

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