जीवन में कर्म के रिश्ते भले काम न आए पर धर्म के रिश्ते अवश्य साथ निभाएंगे – समकितमुनिजी
- सात दिवसीय प्रवचनमाला सद्गुरू सुमति कथा एवं मैना सुंदरी कथा का पांचवा दिवस
हैदराबाद । बहुत सी बार जिंदगी में सुख के पलों में कोई दुःख देने वाला ओर दुःख के पलों में कोई सुख देने वाला मिल जाता है। कष्ट के उदय में भी सुख देने वाले मिल जाते है तो जिंदगी बहुत आसान हो जाती है। मैनासुंदरी ने भोग के रिश्ते को धर्म का रिश्ता बना लिया। आप कब तक भोग के रिश्तों को जीते रहेंगे उनको धर्म का रिश्ता बना लो। जिस दिन ऐसा कर लेंगे वह रिश्ता जिंदगी-जिंदगी तुम्हारे काम आएगा। धर्म के रिश्ते से बढ़कर दुनिया में कोई रिश्तेदार नहीं इसलिए धर्म के रिश्तेदार बनाते जाओ। ये विचार पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में सोमवार को सात दिवसीय विशेष प्रवचनमाला सद्गुरू सुमति कथा व मैना सुंदरी कथा के पांचवे दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कर्म के रिश्ते काम आए न आए पर धर्म के रिश्ते दुःख के पलों में अवश्य काम आते है। मैनासुंदरी की तरह हमेशा अपने धर्म,तीर्थंकर, नवकार महामंत्र ओर निग्रन्थ गुरू पर विश्वास होना चाहिए। मैनासुंदरी का विवाह कोढ़ी से कर देने के बावजूद वह न अपने पिता को, न अपने भाग्य को कोसती है ओर पिता से यहीं आशीर्वाद मांगती है कि जो मिला उसे संभाल सकू। ऐसी मंगलकामनाओं के साथ जो पीहर से निकले तो आगे मंगल ही मंगल होता है। मुनिश्री ने कहा कि मैनासुंदरी वह होती है जो कोढ़ी को कोहीनूर बनाने की कला जानती है, जो मिला उसे खुशी खुशी स्वीकार करने वाली होती है, जो शिकायत में नहीं समाधान में विश्वास रखती है। प्रज्ञामहर्षि डॉ.समकितमुनिजी म.सा. ने पूज्य गुरूदेव सुमतिप्रकाशजी म.सा. के जीवन में समाहित गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि वह गुणग्राही होने के साथ सभी गुणवानों का आदर करते थे। गुणों का सम्मान करने वाला एक दिन खुद सम्मानीय बन जाता है। गुरूदेव की एक ही सीख रही गुणवानों को कभी नजरअंदाज नहीं करना। वह गुणवानों को देखकर प्रमोदित होते थे जबकि साधारण इंसान के मन में गुणवानों को देख प्रदूषण फैल जाता है। यदि श्रद्धा व अहोभाव हो तो हर साधु संत के दर्शन वंदन का लाभ मिलता है। धर्मसभा में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘वो जब याद आए बहुत याद आए’’ की प्रस्तुति दी। श्रीसंघ द्वारा अतिथियों का स्वागत सम्मान किया गया। धर्मसभा में बेंगलूरू से भरतकुमार रांका, पूना से निर्मला गांधी, गुरूग्राम से कल्पना धाकड़, चित्तौड़गढ़ से अंगूरबाला भड़कत्या सहित विभिन्न स्थानों से पहुंचे कई गुरूभक्त श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।
राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति पर आयम्बिल दिवस 9 अक्टूबर को
आयम्बिल तप के महान आराधक पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इस दिन देशभर में 11 हजार 111 आयम्बिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराया है। इसी दिन से नवपद आयम्बिल ओली तप की आराधना भी शुरू होगी। भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र की दीपावली तक चलने वाली 21 दिवसीय आराधना 10 अक्टूबर से शुरू होगी।